parmanu kise kahate hain(परमाणु क्या कहलाता है? , परमाणु की संरचना , परिभाषा एवं सिंद्धांत) – Atom In Hindi

parmanu kise kahate hain(परमाणु क्या कहलाता है? , परमाणु और अणु में क्या अंतर है?) :

आप आपने आस-पास ढेर सारे वस्तुओं को  देखते हैं जैसे – कलम , किताब , पानी , घर में लगे पंखे , बिजली के तार , लोहा , ताम्बा , एल्मिनियम   , सोना – चाँदी ,  ग्लास , प्लेट , पेट्रोल , डीजल , हवा , वायुमंडल में उपस्थित अनेकों प्रकार के गैस आदि। क्या आप जानते हैं की ये सारे वस्तुएँ/ तत्व  मूल रूप से कैसे बना होता हैं तो आपको बता दें की संसार में जितने भी वस्तु/पदार्थ हैं वह अत्यंत छोटे- छोटे शुक्ष्मतम कणों से मिलकर बना होता हैं , यह कण इतना छोटा होता हैं की इसे ओर विभाजित नहीं किया जा सकता हैं अर्थात वह कण अविभाज्य होता हैं और यही कई अविभाज्य कण आपस में मिलकर एक पदार्थ का निर्माण करते हैं। 

“परमाणु(Atom) के बारे सबसे पहले महर्षि कणाद बताये थे , इसके अनुसार किसी पदार्थ को विभाजित(टुकड़ा) करते जाए तो अंत में एक ऐसा कण बच जाएगा जिसे ओर विभाजित नहीं किया जा सकता हैं जो अविभाज्य होता हैं उस अविभाज्य कण को परमाणु कहा जाता हैं।” 

 

परमाणु किसे कहते हैं? (parmanu kise kahate hain) / परमाणु की परिभाषा ।

पदार्थ के अत्यंत शुक्ष्मतम कण को परमाणु कहा जाता हैं अथवा पदार्थ का वह सूक्ष्मतम कण जिसे ओर विभाजित नहीं किया जा सकें परमाणु कहलाता हैं। 

आप किसी तत्व के बारे में सोचिये मान लीजिए की आपने हाइड्रोजन(Hydrogen) के बारे में सोचा हैं जो एक गैस हैं ,अब आपके मन में प्रश्न आता होगा की गैस में कौन सा कण होता हैं तो आपको बता दें की गैस हो या द्रव या ठोस सभी अत्यंत छोटे- छोटे कणों के मिलकर बना होता हैं जो कण उस पदार्थ को आपस में बांधकर रखते हैं। अतः हाइड्रोजन गैस के  उन अत्यंत छोटे कण को परमाणु कहेंगें जिसे ओर विभाजित नहीं किया जा सकता हैं, इसी प्रकार संसार में जितने भी पदार्थ हैं या तत्व हैं उनके सबसे छोटे अविभाज्य कण परमाणु कहे जाते हैं।

 

हमें उम्मीद हैं की आपने अभी तक परमाणु के बारे में अच्छी तरह से समझ गए होंगें , अब परमाणु के सम्बंधित अन्य जितने भी प्रकार के प्रश्न  आते हैं उन सारे प्रश्नों के जबाब आपको अभी निचे मिलने वाले हैं।  

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परमाणु  के बारे में सबसे पहले किसने बताया था ? परमाणु की खोज किसने किये थे ?

परमाणु के बारे में सबसे पहले लगभग (400 ई. पू.) भारतीय महान दार्शनिक महर्षि कणाद(Maharshi Kanad) ने  परिभाषित किए थे और वह अपने शास्त्र में इसके बारे में विवेचना किये  अतः इस हिसाब से परमाणु के खोजकर्ता कणाद ऋषि हैं। लेकिन आधुनिक विज्ञान ने परमाणु के खोज करने की उपाधि जॉन डाल्टन को दे दिए जो की बिलकुल सत्य नहीं हैं , जॉन डाल्टन ने तो सन 1808 में परमाणु के बारे में सिर्फ सिंद्धांत दिए थे जोकि यह 18वी शताब्दी की बात हैं। 

इसके आलावा यूनानी दार्शनिक ने भी परमाणु के बारे में अपना विचार दिए थे और वह भी पदार्थ के अविभाज्य कण के बारे में ही बताये , उसने कहा था की परमाणु द्रव के मूल संरचनात्मक भाग होते हैं इनके अनुसार पदार्थों को लगातार विभाजित(तोड़ने) करने पर परमाणु(Atom) प्राप्त होते हैं जिसे ओर आगे विभाजित नहीं किया जा सकता हैं , कुल बात वही हैं परमाणु के बारे में जिसने भी बताए वह  पदार्थ के अविभाज्य कण के बारे में ही बताए ।

लेकिन कहते हैं की न दुनिया उसी को याद करते हैं जो सही समय पर आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। समय बीतते गए लेकिन परमाणु के अन्य गुणों के बारे में कोइ अन्य जानकारी नहीं प्राप्त हुए। यदि जॉन डाल्टन की बात करें तो इसने भी परमाणु के सिंद्धांत देकर घर  बैठ गए इससे आगे इनके बारे में कोइ विशेष गुणों की जानकारी नहीं दिए। अब हम जॉन डाल्टन के परमाणु  सिंद्धांत के बारे में भी पढ़ लेते हैं जो निम्न हैं।

 

जॉन डाल्टन के परमाणु के सिंद्धांत :

डॉ. जॉन डाल्टन (John Dalton) एक इंग्लिश रसायनशास्त्री एवं भौतिकशास्त्री थे जिन्होंने परमाणु के सिद्धांत दिए जो निम्नलिखित हैं।

  • कोइ भी पदार्थ अत्यंत छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता हैं जिस कण को परमाणु कहा जाता हैं।
  • परमाणु अविभाज्य होता हैं जिसे ओर विभाजित नहीं किया जा सकता हैं।
  • परमाणु को न तो पैदा किया जा सकता हैं और न इसे विनाश किया जा सकता हैं।

 

परमाणु दिखने में कैसा होता हैं इसका आकार(Size) कैसा होता हैं?  

अब आपके मन में प्रश्न आता होगा की परमाणु कैसे दिखता हैं तो आपको बता दें की परमाणु को खुली आखों से कोइ नहीं देख सकता हैं इसे देखने के लिए वैज्ञानिक उपकरणों का सहायता लेना पड़ता हैं और ये कार्य वैज्ञानिकों के द्वारा किया जाता हैं। वैज्ञानिक प्रयोगशाला में तत्वों/ पदार्थों को तोड़कर उसके सबसे छोटे कणों का पता लगाते हैं। अब परमाणु आकार इनके भार तथा द्रवमान आदि को समझने के लिए परमाणु के संरचना को समझना होगा क्योंकि परमाणु इतना छोटा होता हैं की उसका कल्पना मात्र कर सकते हैं।

 

परमाणु की संरचना(parmanu ki sanrachna) 

परमाणु का जन्म कुंडली जानने के लिए इनकी संरचना के बारे में अध्ययन करना होगा  अभी तक आपने इनकी Basic जानकारी प्राप्त किये हैं मूल बातें को तो समझना अभी बाकी हैं तो आगे बढ़ते हैं और परमाणु की संरचना(parmanu ki sanrachna) के बारे में जानते हैं। 

जॉन डाल्टन ने भी परमाणु के संरचना एवं इनके केंद्रीय भागों के बारे में कोइ  जानकारी नहीं दिए बस सिंद्धांत तक ही खुद को सिमित कर लिए लेकिन कहा जाता हैं की विज्ञान की खोज रुकती कहा हैं जब इनके संरचना के बारे में अध्ययन चालु हुवा वैज्ञानिकों ने सबसे पहले इनके नाभिक(Nucleus) के बारे में जाना जो परमाणु के ठीक मध्य(केंद्र) वाला भाग था अतः परमाणु के ठीक मध्य भाग को नाभिक नाम दिया । इसके बाद  परमाणु के नाभिक के अंदर  तीन कण के बारे में जानकारी मिली जिसे (1) इलेक्ट्रान(Electron) (2) प्रोटोन(Proton) (3) न्यूट्रॉन (Neutron) नाम दिया इस प्रकार ज्ञात हुवा की परमाणु तीन मौलिक कणों  से मिलकर बना होता हैं जिसे लेक्ट्रान , प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन कहा जाता हैं। प्रोटोन और न्यूट्रॉन परमाणु के नाभिक में उपस्थित रहते हैं और इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। 

parmanu kise kahate hain

इलेक्ट्रान ऋणावेशित(-) कण होते हैं , प्रोटोन धनावेशित(+) कण होते हैं और न्यूट्रॉन पर कोइ आवेश नहीं होता हैं अर्थात न्यूट्रॉन आवेशहीन कण होते हैं। इलेक्ट्रान पर आवेश  -1.6 × 1019 C होता हैं।

 

परमाणु मॉडल

परमाणु का अधिकांश भाग खोखला या रिक्त  होता हैं – रदरफोर्ड ने जब सोने(Gold) परमाणु से होकर अल्फा किरण को गुजारा तो कुछ किरणें आसानी से पार हो गई इससे पता चला की परमाणु का अधिकांश रिक्त या खोखला होता हैं। लेकिन कुछ किरणें विचलित हो गई हैं तथा कुछ किरणें आपस लौट आई हैं। आखिर किस कारण से कुछ किरणें विचलित हुई तथा कुछ किरणें लौट आई तथा  कुछ आसानी से पार हो गई। 

  • जो अल्फा किरणें परमाणु के ठीक मध्य भाग से होकर जाती थी वही किरण आपस लौट आती थी इसका मतलब परमाणु के मध्य भाग में कुछ तो था जिसके कारण किरणें लौट आती थी । अल्फा किरणें धनात्मक होती हैं और हम जानते हैं की जब दो धनात्मक आवेश आपस में मिलती हैं तो एक दूसरे को धकेलती हैं अर्थात विकर्षण होती हैं इसका मतलब परमाणु के मध्य भाग में कोइ धनात्मक स्थान हैं जिसके कारण धनात्मक अल्फा किरणें लौट आती हैं अतः रदरफोर्ड ने इस स्थान का नाम नाभिक(Nucleus) रखा । 
  • जो किरणें नाभिक के पास से गुजरा वह विचलित होकर अपने रास्ते से भटक गए , पार तो हुई लेकिन सीधे रेखा में नहीं वह नाभिक से दूर होकर गुजरा इसका मतलब नाभिक के कोइ धनात्मक कण आवश्य मौजूद हैं जिसके कारण किरणें विचलित हुई हैं। 
  • अब बात आई उस किरण पर जो आसानी से पार हो गई , ऐसा इसलिए हुवा क्योंकि वह किरण नाभिक से बहुत दूर था इसलिए उस पर कोइ बल आरोपित नहीं हुवा । 

 

ध्यान दें :

  1. परमाणु की त्रिज्या 1010 m होती हैं तथा परमाणु के नाभिक की त्रिज्या 1015m होती हैं । 
  2. इलेक्ट्रान का खोज   जे. जे. थॉमसन ने  सन1897 में किया । 
  3. प्रोटोन की खोज यूजीन गोल्डस्टीन (Eugene Goldstein) ने सन 1886 में किया था ।
  4. न्यूट्रॉन की खोज जेम्स चैडविक ने 1932 में किया था ।

 

 

 

निष्कर्ष – आपने जाना की parmanu kise kahate hain(परमाणु क्या कहलाता है? , परमाणु की संरचना , परिभाषा एवं सिंद्धांत जिसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई । उम्मीद हैं की आपको परमाणु के सम्बंधित सभी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर मिल चुके होंगें । 

इन्हें पढ़ें – अणु क्या हैं।

 

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