चालक और अचालक क्या हैं? और सुचालक कुचालक तथा अर्धचालक क्या है? : हम अभी जानेंगें की चालाक( Conductor) , अचालक(Non-Conductor) तथा अर्थचालक(Semi Conductor) क्या हैं तथा इनके सम्बंधित वह सभी प्रकार के जानकारी भी दी जाएगी जो की बहुत महत्पूर्ण हैं।
चालाक की परिभाषा – वह पदार्थ जिनसे होकर विद्युत/बिजली(Current) आसानी से गुजर जाती हैं तो वह चालाक कहलाता हैं। और अचालक उस पदार्थ या धातु को कहा जाता हैं जिनसे होकर बिजली(Current) नहीं गुजरता हैं तथा अर्थचालक वह पदार्थ होता हैं जिनसे होकर बिजली थोड़ा – थोड़ा करके जाता हैं अर्थात बिलकुल धीरे – धीरे जाता हैं । अतः आपने अभी परिभाषाओं से समझ गए होंगें की चालक , अचालक तथा अर्थचालक क्या हैं , अब आगे इसके बारे में उदाहरण के साथ विस्तार से जानेंगें की वास्तव में इसको जानने समझने की आवश्यकता क्यों हुई ।
चालक और अचालक क्या हैं ?
चालक (Conductor) | अचालक(Non- Conductor) |
ताम्बा(Cooper) , एल्युमीनियम , चाँदी , लोहा आदि – यह चालक हैं क्योंकि इनसे होकर बिजली बिना रुकावट के आसानी से गति(Motion) कर जाती हैं अर्थात विद्युत आसानी से गुजर जाती हैं । | लकड़ी , प्लास्टिक , रबर , कागज आदि अचालक हैं क्योंकि इनमें बिजली प्रवेश नहीं कर पाती हैं। |
चालक कितने प्रकार के होते हैं ?
चालक निम्न प्रकार के होते हैं ।
1 . धातुओं के चालक :
जैसे –
- सोना (Gold)
- चांदी (Silver)
- तांबा (Copper)
- एल्यूमीनियम (Aluminum) आदि ।
2 . अर्द्ध चालक (Semiconductor): वह चालक जिसमें धीरे- धीरे विद्युत जाती हैं वह अर्द्ध चालक कहलाता हैं । अर्थात अर्द्ध चालक वह चालक होते हैं जिसकी चालकता चालक धातु से कम तथा अचालक से अधिक होती हैं।
जैसे :
- सिलिकॉन (Silicon)- सिलिकॉन एक प्रमुख अर्द्ध चालक पदार्थ है, जो इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करने के उपयोग किया जाता है।
- जर्मेनियम (Germanium) – जर्मेनियम भी एक अर्द्ध चालक पदार्थ है जिसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाने में किया जाता हैं ।
- गैलेना (Galena) – गैलेना भी एक अर्द्ध चालक है इसका प्रयोग अनुप्रयोगी विद्युतीय सेमीकंडक्टर उपकरणों में किया जाता है।
- कैडमियम सल्फाइड (Cadmium Sulfide) – कैडमियम सल्फाइड भी एक अर्द्ध चालक है और यह विभिन्न इलेक्ट्रिकल उपकरणों में प्रयोग हो रहा हैं।
3 . Electrolytic Conductor(इलेक्ट्रोलाइटिक कंडक्टर) : रसायन विज्ञान में इस चालक का प्रयोग इलेक्ट्रोलाइसिस, बैटरियां, एलेक्ट्रोप्लेटिंग, और विद्युत तार के निर्माण में उपयोग किए जाते हैं।
चालक और अचालक क्या हैं:
सुचालक और कुचालक क्या होता हैं और सुचालक और कुचालक में क्या अंतर है?
चालक को ही सुचालक पदार्थ कहा जाता हैं और अचालक(इंसुलेटर) पदार्थ को कुचालक कहा जाता हैं जिसके बारे में ऊपर जानकारी दे दी गई हैं और साथ में इसके बिच के अंतर के बारे में भी जानकारिया दे दी गई हैं।
यदि दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सुचालक उस पदार्थ को कहा जाता है जो अपने होकर किसी ऊर्जा को संचारित होने देता हैं चाहे वह ऊर्जा हो इलेक्ट्रान हो अथवा कोइ अन्य ऊष्मा। यदि कोइ आपसे पूछे की लोहा ऊष्मा ऊर्जा का सुचालक होता हैं तो इसका जबाब होगा “हाँ ” क्योंकि लोहा से होकर ऊष्मा ऊर्जा प्रवाहित हो जाता हैं। यदि आप लोहे के छड़ के एक सिरे को गर्म करते हैं तथा दूसरे सिरे को हाथ से पकड़ते हैं तो वह सिरा भी गर्म लगने लगता हैं क्योंकि लोहे के छड़ के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ऊष्मा ऊर्जा प्रवाहित हुई हैं। अतः लोहा ऊष्मा ऊर्जा का सुचालक होता हैं। आलावा जो पदार्थ अपने से होकर किसी ऊर्जा को प्रवाहित न होने देता हैं वह कुचालक कहलाता हैं ।
विद्युत का सबसे अच्छा चालक क्या है ? – विद्युत के लिए सबसे अच्छा चालक धातु होता है जिसमें विद्युत् का सबसे अच्छा चालक चाँदी हैं लेकिन यह महंगा होता हैं इसलिए ताम्बे(Copper) का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता हैं। बड़े – बड़े मोटर हो या ट्रांसफार्मर सभी जगह ताम्बें का प्रयोग किया जाता हैं।
कॉपर (Copper)- यह बहुत अच्छा चालक है क्योंकि इससे इलेक्ट्रान बहुत आसानी से गति कर जाती हैं जिसके कारण इसकी चालकता बहुत अच्छी होती हैं जिसका प्रयोग विद्युत तार, विद्युतीय उपकरणों, ट्रांसफ़ॉर्मर, मोटर, और विभिन्न विद्युतीय उपकरणों के निर्माण में किया जाता है।
क्या स्टील बिजली का अच्छा सुचालक है?
स्टील धातु तो हैं लेकिन बिजली का अच्छा सुचालक बिलकुल नहीं हैं। इसकी चालकता बहुत कम होती हैं , इसके होकर बिजली आसानी से नहीं प्रवाह होता हैं इसलिए इसका प्रयोग चालक के रूप में न के बराबर प्रयोग किया जाता हैं। स्टील के प्रयोग विभिन्न प्रकार के बर्तन बनाने में किया जाता हैं ।
विद्युत में चालक का कार्य क्या है?
विद्युत में चालक का मुख्य कार्य होता हैं बिजली(Current) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना , जिसे विद्युत/बिजली तार कहा जाता हैं इसका प्रयोग कई प्रकार के इलेक्ट्रिक उपकरणों में विद्युत संचारित करने के लिए किया जाता हैं ताकि विद्युत धारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँच सकें।