बल किसे कहते हैं(bal kise kahate hain) और कितने प्रकार के होते हैं? , बल की परिभाषा क्या है? – बल वह भौतिकी कारक हैं जो किसी स्थिर या गतिशील वस्तु/पिंड के स्तिथि में परिवर्तन लाता हैं अथवा बल वह कारक होता हैं जिसके कारण किसी वस्तु के स्तिथि में परिवर्तन होता हैं।
निम्न बातों पर ध्यान दीजिए :
- बल के कारण ही किसी वस्तु(Motion) में गति उत्पन्न होता हैं अथवा वह स्थिर(Rest) होता हैं।
- बल के कारण ही आप चलते- फिरते हैं , खड़े होते हैं अथवा कोइ कार्य कर पाते हैं।
- बल के कारण ही किसी गाड़ी को रोका जाता हैं या उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता हैं।
- बल के कारण ही क्रिकेट खिलाड़ी बॉल को तेज फेंकता हैं तथा तेजी से आते हुई गेंद को बल्ला के द्वारा उसके दिशा में परिवर्तन कर देता हैं।
- संसार के हर एक चीजें बल के कारण क्रियाशील हैं।
बल की परिभाषा क्या है(bal ki paribhasha) तथा बल कितने प्रकार के होते हैं और कौन कौन हैं – bal kise kahate hain
ब+“ल की परिभाषा(Definition of force) – सामान्य रूप से खींचना और धकेलना बल कहलाता हैं। जब हम किसी वस्तु को अपनी ओर खींचते हैं अथवा धक्का देते हैं तो उस वस्तु पर एक बल लगताहैं।
जैसे :
- मान लीजिए की कोइ व्यक्ति अपने गाड़ी पर धक्का लगा रहा हैं तो वह व्यक्ति गाड़ी पर बल लगा रहा हैं ।
- कोइ व्यक्ति साईकल चला रहा हैं तो वह पैर के द्वारा साईकल के पैडल पर बल लगा रहा हैं।
- यदि आप वस्तु को अपने ओर खींच रहे हैं तो आप उस वस्तु पर बल लगा रहे हैं।
बल के प्रकार :
बल प्रमुख रूप दो ही प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं।
- स्पर्श बल(Contact Force)
- दूरी पर क्रियाबल(Action at a distance force)
अर्थात दो वस्तुओं/पिंडों के बीच में स्पर्श के द्वारा बल लगेगा या बिना स्पर्श के बल लगेगा , जिसे आप हमेशा ख्याल रखें। जैसे यदि कोइ क्रिकेट खिलाड़ी गेंद फेंकते हैं तो गेंद और हाथ के बीच स्पर्श बल कार्य करता हैं लेकिन वही गेंद ऊपर उठने के बाद जमीन पर गिरता हैं तो गेंद और जमीन(पृथ्वी) के बीच गुरुत्वाकर्षण बल कार्य करता हैं , इस उदाहरण से आप बल के दोनों प्रकार को अच्छी तरह से समझ गए होंगे यदि नहीं समझे हैं तो आगे जब इनका व्यख्या करेंगें तो आप पूरी तरह समझ जायेंगें।
अब आपको बताना चाहेंगें की “स्पर्श बल तथा दुरी पर क्रियाबल” के आधार(Base) पर बल के कुछ अन्य प्रकार भी हैं जिसे निचे प्रस्तुत की गई हैं।
bal kise kahate hain
- गुरुत्वाकर्षण बल(Gravitational force)
- यांत्रिकी बल(Mechanical Force)
- विद्युत-बल(Electric force)
- घर्षण बल(Fractional force)
- पेशीय बल(Muscular force)
- समान्तर बल(Parallel force)
- बल युग्म(Couple)
- परिणामी बल(Resultant force)
- संतुलित बल(Balanced force)
- असंतुलित बल(Unbalanced force)
Note – यदि आप जिम्मेवारी के साथ बल(Force) के बारे में समझना चाहते हैं तभी आप अपना कीमती समय दीजिए , नहीं तो आप अपना समय दुरूपयोग नहीं कीजिए क्योंकि विज्ञान की बातों को बड़ी जिम्मेवारी और गहनता से समझने की आवश्यकता होती हैं।
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बल के सभी भेदों का परिभाषा(Definition of all types of force)
1 . स्पर्श बल(Contact Force) – जब दो वस्तुओं/पिंडो के बीच में स्पर्श के द्वारा बल लगता हैं तो वह स्पर्श बल कहलाता हैं ।
स्पर्श बल का उदाहरण : घर्षण बल एक स्पर्श बल हैं । एक चलती हुई गाड़ी को ब्रेक लगाकर रोका जाता हैं तो ब्रेक के रबड़ और गाड़ी के रिम के बीच में घर्षण बल कार्य करती हैं जो स्पर्श बल के कारण होता हैं स्पर्श अर्थात छूकर जो बल आरोपित किया जाता हैं वह स्पर्श बल कहलाता हैं।
2 . दूरी पर क्रियाबल(Action at a distance force) – जब दो वस्तु /पिंड बीना स्पर्श के बल लगाता हैं तो उसे दूरी पर क्रियाबल कहा जाता हैं अथवा जब दो पिंड बीना संपर्क किए कोइ बल लगाता हैं तो वह “दूरी पर क्रियाबल” कहलाता हैं।
अब इन्ही दोनों बलों(Forces) के आधार पर बल के अन्य प्रकार भी हैं जो निम्नलिखित हैं।
1 . गुरुत्वाकर्षण बल(Gravitational force) – दो द्रवमान(Mass) वाले वस्तु/पिंड के बीच लगने वाले बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहा जाता हैं । यह बल हमेशा आकर्षण से होता हैं । पृथ्वी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही किसी वस्तु को अपने ओर खिंच लेती हैं जिसमें पृथ्वी और उस वस्तु के बीच में गुरुत्वाकर्षण बल कार्य करती हैं।
2 . यांत्रिकी बल(Mechanical Force) – मशीन द्वारा किसी वस्तु पर लगाए गए बल को यांत्रिकी बल कहा जाता हैं अथवा किसी मशीन के द्वारा लगने वाले बल को यांत्रिकी बल कहा जाता हैं। यांत्रिक का अर्थ मशीन(Machine) या इंजन होता हैं।
जैसे :
- मोटरसाईकल को चलाने के लिए यांत्रिकी बल का प्रयोग किया जाता हैं , मोटरसाईकल में लगे इंजन के द्वारा मोटरसाईकल में लगे चक्का के फिरबिल पर एक बल आरोपित होता हैं जिसके कारण चक्का घूमने लगता हैं और मोटरसाईकल चलने लगता हैं। इसके आलावा यांत्रिकी बल के कारण ही ट्रेक्टर , कार , सिंचाई वाले पंपसेट , बस , ट्रक आदि चलते हैं।
3 . विद्युत-बल(Electric force) – विद्युत के द्वारा आरोपित बल को विद्युत बल कहा जाता हैं। अथवा आवेशित वस्तु के द्वारा आरोपित बल को विद्युत बल कहा जाता हैं।
4 . घर्षण बल(Fractional force) – दो वस्तु के घर्षण से जो बल उत्पन होता हैं वह घर्षण बल कहलाता हैं अथवा दो वस्तुओं की संपर्क सतहों के बिच लगनेवाले गति – विरोधी बल को घर्षण बल कहा जाता हैं।
जैसे – चलती गाड़ी में ब्रेक लगना घर्षण बल का सबसे बड़ा उदाहरण हैं अर्थात जब चलती गाड़ी में ब्रेक लगाया जाता हैं तो वहा पर घर्षण बल कार्य करती हैं जिसके कारण गाड़ी रुक जाती हैं।
5 . पेशीय बल(Muscular force) – मनुष्य या जानवरों के मांसपेशियों के द्वारा लगाए गए बल को पेशीय बल कहा जाता हैं।
पेशीय बल (Muscular Force) महत्पूर्ण भौतिकी शक्ति हैं जो मानव शरीर के द्वारा उत्पन होती हैं। जब कोई व्यक्ति अपने हाथों से कोइ कार्य करता हैं तो वह पेशीय बल के कारण करता हैं । फुटबॉल के खिलाड़ी अपने पैर से बॉल को धक्का लगाते हैं तो बॉल पर पेशीय बल लगता हैं। कुल बात यह हैं की जब शरीर के किसी भी अंगों के द्वारा किसी वस्तु पर बल लगता हैं तो वह पेशीय बल कहलाता हैं।
पेशीय बल गुण:
- गति उत्पन्न करना (Generating Motion): हम पेशीय बल के कारण ही अपने शरीर को गति देते हैं जैसे उठाना , बैठना , घूमना- फिरना आदि । शरीर के मांसपेशियां हड्डियों एवं नसों की सहायता से पेशीय बल उत्पन करते हैं। इसके अलावा बल उत्पन्न करना , किसी वस्तु की स्तिथि बदलना तथा उठाना बैठाना आदि पेशीय बल के कारण होता हैं।
6 . समान्तर बल(Parallel force) – जब किसी वस्तु पर लगाए गए बलों की क्रिया रेखा समान्तर होती हैं तो वह समान्तर बल कहा जाता हैं।
7 . बल युग्म(Couple) – किसी वस्तु पर लगे दो बराबर एवं विपरीत बल की क्रियारेखाएं समान्तर तथा असंरेख हो तो ऐसे बलों को बल युग्म कहा जाता हैं।
8 . परिणामी बल(Resultant force) – दो या दो से अधिक बल किसी वस्तु पर एक साथ लगते हैं तो इनके बलों के सम्मलित प्रभाव उत्पन करने वाले बल को परिणामी बल कहा जाता हैं।
9 . संतुलित बल(Balanced force) – यदि किसी पिंड पर लग रहे सभी बलों का परिणामी बल शून्य हो तो , ऐसे बलों को संतुलित बल कहा जाता हैं।
10 . असंतुलित बल(Unbalanced force) – यदि किसी वस्तु पर लग रहे सभी बलों का परिणामी बल शून्य न हो तो वह असंतुलित बल कहलाता हैं।
अभी तक आपने बल के विभिन्न प्रकार के बारे में जानकारी प्राप्त किये अब आपको बल से जुड़े कुछ महत्पूर्ण बातें बताने जा रहे हैं जिसे जानना अत्यंत जरूरी हैं जो निचे प्रस्तुत की गई हैं।
बालों की भौतिकी स्वतंत्रता – यदि किसी वस्तु/ पिंड पर एक साथ कई बल लग रहे हैं तो वह एक दूसरे से स्वतंत्र रहते हैं अर्थात वह सभी बल अपना-अपना प्रभाव इस प्रकार डालते हैं जैसे दुसरा बल हो ही नहीं।
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जड़त्व(Inertia) किसे कहते हैं ?
प्रत्येक वस्तु का वह गुण जिस गुण के कारण वह अपनी स्तिथि में परिवर्तन खुद नहीं ला सकती हैं चाहे वह जिस भी स्तिथि में हो , कहने का तात्पर्य ये हैं की कोइ वस्तु अपने गुण के कारण गति में हैं या स्थिर हैं तो वह उसी स्तिथि में रहेगा और यदि वह अपने स्थिति में कोइ परिवर्तन लाना चाहेगा तो वह खुद नहीं ला सकता हैं वस्तु के इस गुण को जड़त्व कहा जाता हैं। मान लीजिए की कोइ वस्तु स्थिर हैं , वह चाहेगा की गति में आना चाहेगा तो वह वस्तु खुद को गति में नहीं ला सकता हैं , हाँ उस पर बाहर से कोई बल लगाकर उसे गति में लाया जा सकता हैं।
जड़त्व दो प्रकार के होते हैं , जो निम्न हैं ।
1 . विराम का जड़त्व (Inertia of rest) – प्रत्येक वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह अपने विरामावस्था में परिवर्तन का विरोध करती हैं अर्थात वस्तु का वह गुण जिस गुण के कारण वह अपने विरामावस्था से परिवर्तन होने का विरोध करती हैं। मूल बात हैं की कोई वस्तु स्थिर/ विराम में हैं तो वह वैसा ही रहना पसंद करेगा और यदि कोइ बल उसके स्तिथि में परिवर्तन करना चाहेगा तो वह उसका विरोध करेगा , वस्तु का यह गुण विराम का जड़त्व कहलाता हैं। मान लीजिए आपके सामने कोइ वस्तु स्थिर हैं और आप उसके स्थिति में कोइ परिवर्तन करना चाहते हैं मतलब उसे उठाकर दूसरे जगह रखना चाहते हैं या उसे खिसकाना चाहते हैं तो वह वस्तु अपने स्तिथि से परिवर्तन होने का विरोध करेगा ।
2 . गति का जड़त्व(Inertia of motion) – प्रत्येक वस्तु का वह गुण जिस गुण के कारण वह एक सरल रेखा में अपने गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती हैं उसे गति का जड़त्व कहा जाता हैं।
संवेग किसे कहते हैं(What is momentum) :
किसी वस्तु का द्रवमान एवं वेग के गुणनफल को उसका संवेग कहा जाता हैं ।
संवेग(P) = द्रवमान(m) क्ष वेग(v)
बल का आवेग (Impulse of force) – किसी वस्तु पर लगने वाला बल और बल लगने के समय के गुणनफल को बल का आवेग कहा जाता हैं।
आवेगी बल(Impulsive force) – यदि किसी वस्तु पर कोइ बड़ा बल अत्यंत कम समय के लिए लगता हैं तो ऐसे बल को आवेगी बल कहा जाता हैं।
निष्कर्ष – अभी आपने “बल किसे कहते हैं(bal kise kahate hain) और कितने प्रकार के होते हैं? , बल की परिभाषा क्या है?” के बारे में सभी प्रकार के जानकारियां प्राप्त किए और साथ में बल के सम्बंधित अन्य महत्पूर्ण चीजों के बारे में भी जानकारियां दिए , हमें उम्मीद हैं की आपको सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगें । मूल बात यह हैं की हम लोग अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार के कार्य करते हैं जिसे करने के लिए एक शक्ति की आवश्यकता होता हैं जिस शक्ति को ही बल कहा जाता हैं बीना बल के कुछ भी कार्य नहीं किया जा सकता हैं ।